श्री प. प. श्री वासुदेवानंद सरस्वती टेंबे स्वामी महाराज व श्री प. प. श्रीलोकनाथतीर्थ स्वामी महाराज स्मारक ट्रस्ट, पुणे
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श्री वासुदेव निवास में आपका स्वागत है।

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गुरुर्रब्रह्मा गुरुर्रविष्णु गुरुर्रदेवो महेश्वरः 
गुरुर्रसाक्षातपरब्रह्म  तस्मै श्रीगुरवेनमः  

गुरुतत्व यही ईश्वरी तत्व है और वह विश्वव्यापी है, शास्त्रों में उसका वर्णन “वासुदेव सर्वम्” यही किया गया है इसी भाव से परमपूजनीय योगिराज श्री गुलवणी महाराज जी ने साल 1965 में श्री वासुदेव निवास की स्थापना की है।शक्तिपात योगविद्या का आद्यपीठ इस परिचय के साथ पूरे जगत में श्री वासुदेव निवास विख्यात है। साथ ही भगवान श्री दत्तात्रेय की प्रसाद पादुकाएं भी श्री वासुदेव निवास में विराजमान हैं। परम पूजनीय श्री योगिराज गुलवणी महाराज की माता सौभाग्यवती उमाबाई ने साक्षात भगवान श्री दत्तात्रेय से इन्हे प्रसाद के रूप में प्राप्त किया है। 

वेद, उपनिषद, श्रीभगवतगीत, और ग्रंथराज श्रीज्ञानेश्वरी में जिसे “पंथराज” की उपाधि से गौरवान्वित किया गया है, उस कुंडलिनी शक्तिपात महायोग का वैश्विक प्रसार, भगवत भक्ति और उपासना के दिव्य प्रकाश में लाखों भक्तों का जीवन प्रकाशित करने का कार्य श्री वासुदेव निवास में गत पचास सालों से हो रहा है।

संस्थापक योगिराज श्री गुलवणी महाराज, ततपश्चात परम पूजनीय ब्रह्मश्री श्री दत्तमहाराज कविश्ववर जी, योगतपस्वी श्री नारायणकाका ढेकणे महाराज जी, और विद्यमान प्रधान विश्वस्त भागवताचार्य योगश्री शरदशास्त्री जोशी महाराज के प्रासादिक नेतृत्व और मार्गदर्शन के चलते श्री वासुदेव निवास कुंडलिनी शक्तिपात महायोग, भक्ति और उपासना मार्ग में एक दीपस्तंभ की तरह निरंतर कार्य करता आया है। इस कार्य का विश्वात्मक प्रचार और प्रसार भी हो रहा है। 

शक्तिपात महायोग, भक्ती और उपासना का अपूर्व संगम

उपासना और भक्ती
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योजीराज प. पू. श्रीगुळवणी महाराज जी के परिवार में कई पीढ़ियों से भगवान श्रीदत्तात्रेय उपासना चली आयी थी। दत्तावतार परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीवासुदेवानंद सरस्वती टेंबे स्वामी महाराज जी (1854-1914) ने प. पू. श्रीगुळवणी महाराज जी को मंत्रोपदेश किया था और उन्हों ने स्वयं में भगवान श्री दत्तात्रय का दर्शन कराया था। पीढ़ियों से चली आयी  दत्तउपासना योगिराज परमपूजनीय श्री गुलवणी महाराज जी ने और आगे चलकर श्री वासुदेव निवास के माध्यम से पूरे विश्व में विस्तार किया। 

कुंडलिनी शक्तिपात महायोग

परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीलोकनाथतीर्थ स्वामी महाराज जी (1892-1955 जन्मस्थान ढाका, बांग्लादेश) ने शक्तिपात कुंडलिनी महायोग की धारा महाराष्ट्र की पावन भूमि में प्रवाहित की। श्री वासुदेव निवास में इस धारा ने व्यापक स्वरूप धारण किया। सबसे प्राचीन, सुलभ और अलौकिक आनंद की अनुभूति देने वाली यह साधनगंगा, उसमें सुस्नात होने वाले हर व्यक्ति को पावन करती है। इस धारा का सर्वप्रथम प्रकटीकरण श्री वासुदेव निवास में हुआ है, इसीलिए यह महायोग का मूलपीठ है। 

नित्यसेवा ऑनलाइन बुकिंग सुविधा

श्री वासुदेव निवास में चल रही विविध सेवाएं, अन्नदान, विशेष सेवाओं के लिए अपना योगदान देने के लिए ऑनलाइन बुकिंग और पेमेंट की सुविधा उपलब्ध है। 

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अपनी व्यक्तिगत समस्याएं श्री स्वामी महाराज जी को अवगत कराएं

व्यक्तिगत, प्रापंचिक समस्याओं से ग्रस्त भक्तों के मार्गदर्शन करने वाली प. प. श्रीवासुदेवानंद सरस्वती टेंबे स्वामी महाराजकृत प्रश्नावली देखें।  

श्रीवासुदेव निवास व्दारा प्रकाशित ग्रंथसंपदा

श्री वासुदेव निवास प्रकाशन पिछले पचास से अधिक वर्षों से कार्यरत है. इस कार्यकाल में  प. प. श्री वासुदेवानंद सरस्वती टेंबे स्वामी महाराज जी की समग्र ग्रंथसंपदा और महायोग साधना, उपासना, भक्ती, वेदांत इन विषयों पर अनेक  ग्रंथ श्रीवासुदेव निवास ने प्रकाशित किए हैं . ‘नो प्रॉफ़िट’ नीति के चलते अत्यंत किफायती शुल्क पर वे उपलब्ध हैं.   

समग्र ग्रंथसंपदा डाउनलोड कीजिए

प.प. श्री वासुदेवानंद सरस्वती टेंबे स्वामी महाराज विरचित समग्र ग्रंथसंपदा PDF फॉर्मैट में निःशुल्क डाउनलोड कीजिए

श्री वासुदेव निवास त्रैमासिक

पिछले चालीस सालों से प्रकाशित होने वाले श्रीवासुदेव निवास त्रैमासिक (मराठी) की दशवार्षिक सदस्यता केवल एक हजार रुपये में उपलब्ध है।